पुतिन जो कह रहे हैं कहने दो, अंदर से हालत पतली... क्‍यों रूस का कैश पर जोर?

नई दिल्‍ली: रूस की हालत अंदर से बहुत अच्छी नहीं है। यूक्रेन के साथ युद्ध उस पर भारी पड़ा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ब्रिक्‍स सम्मेलन में दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से डरता नहीं है। लेकिन, आयोजकों ने विदेशी

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नई दिल्‍ली: रूस की हालत अंदर से बहुत अच्छी नहीं है। यूक्रेन के साथ युद्ध उस पर भारी पड़ा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ब्रिक्‍स सम्मेलन में दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से डरता नहीं है। लेकिन, आयोजकों ने विदेशी मेहमानों से कहा है कि वे अपने साथ कैश लेकर आएं। यह रूस के लिए शर्मसार करने वाला है। कारण है कि वह खुद के डॉलर और यूरो से मुक्त होने का दम भरता रहा है।
ब्रिक्‍स शिखर सम्मेलन रूस के कजान शहर में आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन की वेबसाइट पर साफ लिखा है कि रूस के बाहर जारी किए गए मास्‍टरकार्ड या वीजा कार्ड वहां काम नहीं करेंगे। यूनियन पे कार्ड मान्य है, लेकिन कुछ पाबंदियों के साथ। आयोजकों ने सलाह दी है कि मेहमान अपने साथ डॉलर या यूरो लेकर आएं क्योंकि इन्हें ही रूस के ज्‍यादातर बैंकों में आसानी से बदला जा सकता है।

डॉलर और यूरो को रूस कहता है 'टॉक्‍स‍िक ' करेंसी

रूस के अधिकारी डॉलर और यूरो को 'टॉक्सिक' करेंसी बताते रहे हैं। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। इससे रूसी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। रूस ने इन प्रतिबंधों से बचने के लिए चीन की मुद्रा युआन का उपयोग बढ़ाया है।

रूस ने अपना खुद का पेमेंट सिस्टम 'मीर' भी बनाया था। इसे Visa और Mastercard का विकल्प बताया जा रहा था। लेकिन, अमेरिका की ओर से प्रतिबंधित किए जाने के बाद रूस के कई करीबी देश भी अब 'मीर' कार्ड से कतरा रहे हैं।

वेबसाइट पर मेहमानों को 'मीर' कार्ड प्राप्त करने के बारे में भी बताया गया है। इसे कजान हवाई अड्डे पर भी प्राप्त किया जा सकता है। रूसी अधिकारियों के लिए यह स्थिति शर्मनाक है। वे डॉलर और यूरो का विरोध करते रहे हैं।

प्रत‍िबंधों का द‍िख रहा है गहरा असर

वेबसाइट पर कही गई बातों से साफ है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का रूस पर कितना असर हुआ है। इसमें कहा गया है, 'सम्मेलन के प्रतिभागियों को सलाह दी जाती है कि वे डॉलर या यूरो लाएं। वे केवल ऐसी मुद्राएं हैं जिन्हें रूस के ज्‍यादातर बैंकों में रूबल में नकदी के लिए मुक्त रूप से बदला जा सकता है।'

यह इस ओर भी साफ इशारा करता है कि भले ही रूस खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का रूस पर काफी ज्‍यादा असर हुआ है।

डॉलर के प्रभुत्‍व को खत्‍म करने के लिए रूस ने कॉमन ब्रिक्‍स करेंसी की भी वकालत की है। हालांकि, पुतिन ने हाल में कहा है कि इसमें अभी वक्‍त लगेगा। वहीं, इस पर भारत का रुख बड़ा साफ है। उसने कहा है कि वह डी-डॉलराइजेशन के किसी भी एजेंडे में शामिल नहीं होगा। अपनी जरूरत के अनुसार वह डॉलर और यूरो का इस्‍तेमाल करेगा।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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